जू नि जै सकणा छन,
अपणा प्यारा पहाड़,
दिन रात देखणा छन,
फेसबुक मा पहाड़।
दिखौण वाळौं की कमी निछ,
फोटु पोस्ट करिक दिखौणा,
अपणु प्यारु पहाड़,
दिन रात दिखौणा छन,
फेसबुक मा पहाड़।
क्वी नाचणा क्वी नचौणा,
पहाड़ की नखरी भलि दिखौणा,
देखिक भै बंध खुश होणा,
दिन रात देखणा छन,
फेसबुक मा पहाड़।
मैं गौं गयुं थौ घूमण,
फोटो पोस्ट करिं छन मेरी,
हे दिदा! त्वैन भी
देख्यन,
कनु लगणु छ गौं मुल्क,
देखि ले फेसबुक फर,
अब्त सब्बि देखणा छन,
फेसबुक मा पहाड़।
पहाड़ तैं पहाड़ जैक देखा,
पहाड़ ह्वयुंं छ आज ऊदास,
टैम पैंसा सब्बि तुमारा पास,
न होण देवा वे पहाड़ तैं ऊदास,
ज्व छ कवि ‘जिज्ञासू’ की आस,
अपणा आंखौन देखा पहाड़,
ओंसी का बुंद सी नि बुझ्दि,
हे दगड़्यौं हमारी तीस,
किलै देखणा छन तुम,
फेसबुक मा पहाड़.....
दिनांक 17.11.2016
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