मेरी खुद त्वै लगिं छ,
तेरी खुद मैं लगिं छ,
त्वै मिलण औलु मैं,
न हो तू ऊदास,
त्वैसी मेरी भेंट होलि,
जब बिति जालु चौमास,
बैाड़ि आलि जब बग्वाळ,
लगिं रै तू सास.....
तेरु बासणु ये मन तैं,
करि देन्दु ऊदास,
मन मा उदौळि ऊठदि,
ज्यू करदु लौटि जौं,
अपणा मुल्क प्यारा,
पहाड़ का पास,
न हो तू ऊदास,
त्वैसी मेरी भेंट होलि,
जब बिति जालु चौमास,
बैाड़ि आलि जब बग्वाळ,
लगिं
रै तू सास.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लाग पर प्रकाशित
11.7.2013
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