देव्तौं का धाम मा देखा आज,
प्रकृति की मार छ,
मनखि जू भी सोचणा होला,
प्रभु की लीला अपार छ......
सबक लिन्युं चैन्दु सब्यौं तैं,
धरती कू श्रृंगार करा,
धौळ्यौं का धोरा घर बणैक,
सुख की आस ना करा.....
सब कुछ अपणा हात छ,
मन मा, जरा विचार करा,
आफत तैं, न्यूतु न देवा,
धरती का जख्म भरा......
केदार धाम की आफतन,
जौंकु ज्यु पराण हरि,
कवि नजर सी याद करदु,
प्रभु तौंकु कल्याण करि.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
दिनांक 3.7.2015
या कविता मैंन दिनांक 4.7.2015 सांय चार बजि
गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली मा होण वाळी केदार आपदा श्रद्धाजंलि कार्यक्रम का खातिर रचि।
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