श्रीनगर मा जबरि,
जियाजीकनकदेई कू,
राणी राज थौ,
सादर सिंग कठैत का,
पांच बलशाली नौना,
भगोत सिंग, राम सिंग,
उदोत सिंह, सब्बल सिंग,
सुजान सिंग सब्बि अपणि,
कठैत गर्दी चलौन्दा था,
जौन प्रजा फर मुंडकरा लगाई,
जब राज परिवार मा क्वी,
स्वर्गवासी होन्दु थौ,
जू वेकु मुंड नि मुडौन्दु थौ,
तब मुंडकरा देन्दु थौ,
कठैतुन मुंडकरा उगाई,
राजकोष मा जमा न करैक,
अफु हि हत्याई......
कठैतुन पुरिया नैथाणी कू जवैं,
शंकर डोभाळ हाथी मू मराई,
भगोत सिंग न डोभाळ की लाश,
सैडा श्रीनगर मा घुमाई,
सोचि थौ पुरिया तैं गुस्सा आलु,
पर पुरिया नैथाणी जिन,
वे हाथी का महावत तैं,
इक्यावान कळ्दार दीक,
वे पिठैं लगाइ्र,
अर अति खुशी जताई,
बोलि भाण्जा भगोत सिंग न,
शंकर डोभाळ जी तैं मरैक,
भौत भलु काम करि.......
वेका बाद वजीर भगोत सिंग न,
पुरिया नैथाणी बुलाई,
पुरियाजिन पांच रुप्या मुछ्याळि,
एक सौ एक रुप्या नजर भेंट करि,
तब भगोत सिंग भारी खुश ह्वै,
अपणु जरवफ्त निकाळिक,
पुरिया का गौळा मा डाळी,
शौल भी प्यार सी ओढाई,
पुरिया आज बिटि तू मेरु मामा,
वे फर भारी भरोंसु जताई,
कुछ समय बाद,
भगोत सिंग न पुरिया तैं बताई,
तू चांद पुर बधाण का,
खस्यौं, बड़ घुत्या अर,
ऊंका नेता भागू सौंटियाळ,
भागू झंगोरया तै पकड़िक,
झंजीर फर बांधिक ल्हौ,
त्वैकु मैं कई सौ ज्यूला,
अर जागीर त्वैकु द्यौलु,
तब पुरियान बताई,
मी बड़ी जगा कू नि छौं,
पुरिया मेरु नौं,
अर झंगोरया छ मेरु गौं......
पुरिया नैथाणी तैं भगोत सिंग न,
पगड़ी पैराई शौल ओढाई,
एक हजार कळ्दार नकद दिनि,
पुरिया न श्रीनगर बिटि प्रस्थान करि,
तीन दिन बाद ऊ चांदपुर बधाण पौंछी,
वख जैक सयाणा भकलैन,
तुम मैं दगड़ि श्रीनगर चला,
तुमतैं खूब जागीर द्यौला,
जब कठैतु कू अंत करि देला,
कमला, त्यूंखी, घोत्या लोग,
लैंजा लगैक पुरिया का पैथर ऐन,
सब्बि श्रीनगर का सुकता सैण मा,
ब्याखुनि बग्त कठ्ठा ह्वैन,
पुरिया न बोल्िा अब आप,
मेरा लत्ता कपड़ा फाड़ा,
तब बौळ्या सी बणिक पुरिया,
भाण्जा भगोत सिंह का पास,
रात मा आई,
देख भाण्जा ऊंन मेरी,
क्या दुर्गति करयालि,
मैं ऊं तैं भकलैक ल्हेग्यौं,
अब तू ऊंक गर्दन उड़ैदि,
भगोत सिंग न बोलि,
मामा तू अबरि चलि जा,
भोळ सुबेर ऊंकी खबर ल्यौला.....
पुरिया वापस लौटी,
श्रीनगर पौलिटेक्निक का धोरा,
रात मा खोदेगि खाई,
सुबेर सब्बि लोग ऐन,
अर कठैतु मा कोठा घेरी,
कठैत बिंगिग्यन हम दगड़ि,
भारी धोखा ह्वैगि,
कोठों का द्वार बंद करिक,
कठैतुन अपणा परिजन,
बेरहम ह्वैक कत्न करयन,
जैकु बोल्दन शाका,
बाद मा ऊंन भागू सौंटयाळ,
बेरहमी सी कत्ल करि,
दुश्मनुन ऊंका कोठों फर,
आग लगाई,
पांच भै कठैत मारे गेन,
भगोत सिंह की धर्मपत्नी,
जू गर्भवती थै,
वींन छेमी मा झाड़ नीस,
लुकिक जान बचाई,
वींकु नौनु छेम सिंह कठैत ह्वै,
वेका द्वी नौना मंगल सिंग,
अर होशियार सिंग ह्वैन,
बतौन्दन ऊंका वंशज,
बढियारगढ़, धारकोट धण्जी मा छन,
पांच भै कठैतु का मुंड,
पांच भै कठैतु की चौंरी मा,
खांकरा, रुद्रप्रयाग का पास,
पांच भैया खाळ मा रखेग्यन........
-जगमोहन सिह जयाड़ा जिज्ञासु
सर्वाधिकार सुरक्षित
दिनांक10.8.2015
जियाजीकनकदेई कू,
राणी राज थौ,
सादर सिंग कठैत का,
पांच बलशाली नौना,
भगोत सिंग, राम सिंग,
उदोत सिंह, सब्बल सिंग,
सुजान सिंग सब्बि अपणि,
कठैत गर्दी चलौन्दा था,
जौन प्रजा फर मुंडकरा लगाई,
जब राज परिवार मा क्वी,
स्वर्गवासी होन्दु थौ,
जू वेकु मुंड नि मुडौन्दु थौ,
तब मुंडकरा देन्दु थौ,
कठैतुन मुंडकरा उगाई,
राजकोष मा जमा न करैक,
अफु हि हत्याई......
कठैतुन पुरिया नैथाणी कू जवैं,
शंकर डोभाळ हाथी मू मराई,
भगोत सिंग न डोभाळ की लाश,
सैडा श्रीनगर मा घुमाई,
सोचि थौ पुरिया तैं गुस्सा आलु,
पर पुरिया नैथाणी जिन,
वे हाथी का महावत तैं,
इक्यावान कळ्दार दीक,
वे पिठैं लगाइ्र,
अर अति खुशी जताई,
बोलि भाण्जा भगोत सिंग न,
शंकर डोभाळ जी तैं मरैक,
भौत भलु काम करि.......
वेका बाद वजीर भगोत सिंग न,
पुरिया नैथाणी बुलाई,
पुरियाजिन पांच रुप्या मुछ्याळि,
एक सौ एक रुप्या नजर भेंट करि,
तब भगोत सिंग भारी खुश ह्वै,
अपणु जरवफ्त निकाळिक,
पुरिया का गौळा मा डाळी,
शौल भी प्यार सी ओढाई,
पुरिया आज बिटि तू मेरु मामा,
वे फर भारी भरोंसु जताई,
कुछ समय बाद,
भगोत सिंग न पुरिया तैं बताई,
तू चांद पुर बधाण का,
खस्यौं, बड़ घुत्या अर,
ऊंका नेता भागू सौंटियाळ,
भागू झंगोरया तै पकड़िक,
झंजीर फर बांधिक ल्हौ,
त्वैकु मैं कई सौ ज्यूला,
अर जागीर त्वैकु द्यौलु,
तब पुरियान बताई,
मी बड़ी जगा कू नि छौं,
पुरिया मेरु नौं,
अर झंगोरया छ मेरु गौं......
पुरिया नैथाणी तैं भगोत सिंग न,
पगड़ी पैराई शौल ओढाई,
एक हजार कळ्दार नकद दिनि,
पुरिया न श्रीनगर बिटि प्रस्थान करि,
तीन दिन बाद ऊ चांदपुर बधाण पौंछी,
वख जैक सयाणा भकलैन,
तुम मैं दगड़ि श्रीनगर चला,
तुमतैं खूब जागीर द्यौला,
जब कठैतु कू अंत करि देला,
कमला, त्यूंखी, घोत्या लोग,
लैंजा लगैक पुरिया का पैथर ऐन,
सब्बि श्रीनगर का सुकता सैण मा,
ब्याखुनि बग्त कठ्ठा ह्वैन,
पुरिया न बोल्िा अब आप,
मेरा लत्ता कपड़ा फाड़ा,
तब बौळ्या सी बणिक पुरिया,
भाण्जा भगोत सिंह का पास,
रात मा आई,
देख भाण्जा ऊंन मेरी,
क्या दुर्गति करयालि,
मैं ऊं तैं भकलैक ल्हेग्यौं,
अब तू ऊंक गर्दन उड़ैदि,
भगोत सिंग न बोलि,
मामा तू अबरि चलि जा,
भोळ सुबेर ऊंकी खबर ल्यौला.....
पुरिया वापस लौटी,
श्रीनगर पौलिटेक्निक का धोरा,
रात मा खोदेगि खाई,
सुबेर सब्बि लोग ऐन,
अर कठैतु मा कोठा घेरी,
कठैत बिंगिग्यन हम दगड़ि,
भारी धोखा ह्वैगि,
कोठों का द्वार बंद करिक,
कठैतुन अपणा परिजन,
बेरहम ह्वैक कत्न करयन,
जैकु बोल्दन शाका,
बाद मा ऊंन भागू सौंटयाळ,
बेरहमी सी कत्ल करि,
दुश्मनुन ऊंका कोठों फर,
आग लगाई,
पांच भै कठैत मारे गेन,
भगोत सिंह की धर्मपत्नी,
जू गर्भवती थै,
वींन छेमी मा झाड़ नीस,
लुकिक जान बचाई,
वींकु नौनु छेम सिंह कठैत ह्वै,
वेका द्वी नौना मंगल सिंग,
अर होशियार सिंग ह्वैन,
बतौन्दन ऊंका वंशज,
बढियारगढ़, धारकोट धण्जी मा छन,
पांच भै कठैतु का मुंड,
पांच भै कठैतु की चौंरी मा,
खांकरा, रुद्रप्रयाग का पास,
पांच भैया खाळ मा रखेग्यन........
-जगमोहन सिह जयाड़ा जिज्ञासु
सर्वाधिकार सुरक्षित
दिनांक10.8.2015
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