द्वार ढ़क्यां छन ताळा लग्यां,
धूर्पळा टूटिक भ्वीं मा ऐग्यन,
जौं कूड़ौं फर बचपन बिति,
बिन मनख्यौं का ऊदास ह्वैग्यन....
तिबारी डिंडाळ्यौं का खम्ब टूटिग्यन,
चौक मा फोळीं पठाळि,
बिन मनखि बिन गोरु का चौक,
रिटण लगिं छ बिराळि.......
अपणा बिकास खातिर छोड़़ी,
सब्यौंन अपणु प्यारु गौं,
कथ्गौंन कूड़ी पुंगड़ि बेच्यालि,
लेन्दा नि अब वख जाण कू नौं.....
लड़ि भिड़ि उत्तराखण्ड लिनि थौ,
हातु सी छुटदु जाणु छ,
मोळ माटु होण न देवा,
बग्त आज चेताणु छ..........
स्वर्ग सी सुन्दर मुल्क हमारु,
जख छन झप्पन्याळा बांज बुरांस,
हैस्दिं डांडी कांठी छन जख,
डाळ्यौं मा बास्दि घुघति हिल्वांस......
प्यारा पहाड़ तैं न त्यागा,
हमारा पहाड़ मा सब्बि धाणी,
कखन देखल्या रौंत्याळि डांडी,
चुकलु पहाड़ कू ठंडु पाणी......
पहाड़ जवा अर कूड़ी लिपिक,
घर कूड़ी कू श्रृंगार करा,
ताळा खोला घर कूड़यौं का,
प्यारा पहाड़ सी प्यार करा.........
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