भुला, भुल्यौं, दिदा, दिद्यौं,
मंगलमय हो आपतैं,
बल नयुं साल-2013,
बद्रीविशाल जी की कृपा सी,
जुगराजि रयन,
हमारू कुमाऊँ- गढ़वाळ,
दनकदु रयन आप,
प्रगति पथ फर,
चढ़दु रयन ऊकाळ....
कामना छ मँहगाई कम हो,
नेतौं तैं सदबुध्धि आऊ,
जनु ऐंसु का साल ह्वै,
यनु अनर्थ कब्बि न हो,
काल चक्र कैका बस मा,
नि होंदु बल,
प्रकृति कू नियम छ,
होंणी हो खाणी हो,
कामना कवि "जिज्ञासु" की.....
गढ़वाळी मा लिखणु छौं,
तुम भी लिख्यन बोल्यन,
अपणा नौना नौनी,
जरूर सिखैन लिखणु बोन्नु,
गढ़वाळी, कुमाऊनी, जौनसारी,
कृपा होलि तुमारी,
आप एक उत्तराखंडी छन,
बोली भाषा कू,
सम्मान अर सृंगार,
संकल्प नयाँ साल फर.......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
नव वर्ष फर शुभकामनाओं सहित उत्तराखंडी समाज तैं समर्पित मेरी या गढ़वाळी कविता
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित 31.12.12
11.30 ( रात्रि)
भैजी आप तै भी नयु साल बहुत बहुत मुबारक हो
ReplyDeleteआपकी गढ़वाली कविता बहुत ही अच्छी च अर उम्मीद करदू की आप भविष्य माँ भी इनि लेख्दा रया जख तक बात च अपड़ी भाषा से जुड़ना की त हम अपड़ी भाषा ही क्या अपड़ी संस्कृति थै अर अपड़ा उत्तराखंड थै कभी भी नि भूल सकदा जै उत्तराखंड का बना हमरा पूर्वजू न अपड़ी इज्ज़त दाव फार लगे अर अपड़ा परन दी।
जय उत्तराखंड जय भारत