जू चोरिक खालु, बल मौज मनालु,
लुकारी मवासी धार लगालु,
नितर भूकन प्राण चलि जाला,
मेहनत की खावा, चाहे फ़ोकटये कलजुग की,
जू बल चोरिक खाला,
ऊँ तें लोग इज्जतदार बताला,
चाहे मन बेमन सी,
यना इज्जतदार मनख्यौं की,
जमात अगनै बढदु जालि,
सैत हि क्वी कमी आलि,
ये कलजुग मा
कै हुश्यार मनखि,
अक्ल कू प्रयोग करिक,
दिन रात दुगणा,
फ़ोकट मा पैंसा कमौणा,
खूब खाणा हजम होणा,
ऊंकी बातु मा फंसिक,
सारी पृथि पिथ्याँ मनखि,
कुजाणि क्या क्या होणा,
अपणि संस्कृति धार लगौणा,
ये कलजुग मा
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
8.1.2013
No comments:
Post a Comment