बिमार करा वे सनै,
फेर करा ईलाज जी,
गुस्सा त वै आलु हि,
कनुकै भला हवै सकदन,
तब वैका मिजाज जी....
तुम हि सोचा?
ठेकेदारुन तुमारु पहाड़,
ठोकी अर ठक्कठयाई,
घत्त लगि कब्ज्याई,
गंगा जी छालौं फुंड,
रेत बजरी हत्याई......
पहाड़ मा सड़क,
सरकारी भवन,
डाम भी,
जौंकी योजना बणैक,
सरकारी अफसर,
अफु अर तौं तैं,
मालामाल करदु.....
गंगा जी मा,
अथाह पाणी आज,
उत्पात मचौणु छ,
नई बात निछ या,
पैलि भी यनु हवै,
जब नि चेति इंसान,
क्या करि सकदु,
वक्त अर भगवान...
मोळ माटु तब,
होलु फेर अब,
टूट्रयां पुळ सड़क,
आपदा सी राहत,
यी सब काम होला,
फेर होलि,
“ठेकेदारु की मौज”....
उत्तराखण्ड में आयी बरसाती आपदा पर रचित
18.6.13
फेर करा ईलाज जी,
गुस्सा त वै आलु हि,
कनुकै भला हवै सकदन,
तब वैका मिजाज जी....
कैकि बात कन्नु छौं,
समझ मा नि आई,तुम हि सोचा?
ठेकेदारुन तुमारु पहाड़,
ठोकी अर ठक्कठयाई,
घत्त लगि कब्ज्याई,
गंगा जी छालौं फुंड,
रेत बजरी हत्याई......
पैंसा बल पाणी की तरौं,
तौंका खातिर बग्दु,पहाड़ मा सड़क,
सरकारी भवन,
डाम भी,
जौंकी योजना बणैक,
सरकारी अफसर,
अफु अर तौं तैं,
मालामाल करदु.....
गंगा जी मा,
अथाह पाणी आज,
उत्पात मचौणु छ,
नई बात निछ या,
पैलि भी यनु हवै,
जब नि चेति इंसान,
क्या करि सकदु,
वक्त अर भगवान...
मोळ माटु तब,
होलु फेर अब,
टूट्रयां पुळ सड़क,
आपदा सी राहत,
यी सब काम होला,
फेर होलि,
“ठेकेदारु की मौज”....
-जगमोहन सिंह
जयाड़ा जिज्ञासु,
सर्वाधिकार
सुरक्षित एवं प्रकाशितउत्तराखण्ड में आयी बरसाती आपदा पर रचित
18.6.13
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