लगण लग्युं छ घर मा,
घड्याळा औण लग्युं छ,
एक बड़ु सी लगोठ्या मेरु,
देव्ता का नौं कू ल्हयुं छ......
दगड़्यौं मेरा बतौण लग्युं छौं,
घड्याळा मा जरुर ऐन,
जथ्गा भाग मा होलु तुमारा,
लगोठ्या की लोतगि खैन......
सिरी फट्टी कू मोह हो मन मा,
घड्याळा सी मिलि जैन,
घड्याळा का खातिर रमेश्वरी,
झोळा पेट लुकैक ल्हेन.....
लगोठ्या आंक नि लेलु त,
मन मा कतै नि घबरैन,
ल्वठ्यन पाणी का बूंद कुछ,
कंदूड़ फर वेका तरकैन......
अंके जालु लगोठ्या जब,
थमाळि हात मा ल्हेन,
कैंधी खूब रख्यन सिरी फर,
घड्याळा सी मिलि जैन.....
ख्याल रख्यन हे दगड़्यौं मेरा,
बांठी तुम हि लगैन,
कार बार करदु करदु,
लोतगि मोतगि घळ्कैन.....
भितर्वांस की रस्सी होलि सवादि,
गिलास भरिक प्येन,
ख्याल रख्यन मन मा अपणा,
लत्ग पत्ग कतै न लगैन.....
दवै दारु कू बंदबस्त भिछ,
बेफिक्र तुम मन मा रैन,
कृपा करयन तुम मैं फर,
घड्याळा मा शामिल ह्वैन.....
देव्ता पुजै कू न्युतू मेरु,
घंघतोळ मा बिसरि न जैन,
जग्वाळ मा रौलु मैं तुमारी,
सनक्वाळि तुम ऐ जैन......
18.11.2015
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