करदि छ धाण अपणि,
निभौन्दि छ जिम्मेदारी,
पहाड़ जनि अडिग,
उठौन्दि बोझ
भारी.......
हंसी खुशी निब्टौन्दि
धाण,
नि होन्दि मन सी
ऊदास,
धारौं बिटि पाणी ल्हौन्दि,
बणु बिटि लाखड़ु घास.....
पहाड़ जनि जिंदगी
मा,
खुशी खोजिक ल्हौन्दि,
दुख लुकैक सुख कू,
सदा अहसास करौन्दि.....
होणी खाणी का
पिछ्नै,
समर्पित पहाड़ की
नारी,
पहाड़ की उन्नति
मा,
जौंकु सहयोग छ
भारी.....
पहाड़ का श्रृंगार
मा जौंकी,
जिंदगी खपि जान्दि,
भाग्य विधाता बणिक,
जीवन सुखी बणौन्दि......
समर्पित रैन सदानि,
उठैन सदानि कष्ट भारी,
शत शत नमन त्वैकु,
हे पहाड़ की
नारी..........
दिनांक 30.12.15
सुन्दर व सार्थक रचना...
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो।
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
धन्यवाद अर हृदय सी आभार आपकु।
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