ह्वन्दु
छ जब पाड़ मा,
हिंवाळि
कांठी,
सोना
चान्दी सी चमकदिन,
अति
स्वाणि लगदिन,
चौखम्बा, नन्दा घूंटी,पंचाचूली,
चौखम्बा
अर त्रिशूली।
पर्वतजन
सदा द्यखदन,
करदन
भलु ऐसास,
जब औन्दन
सूरज भगवान,
ऊंचि
हिंवाळि कांठ्यौं बिटि,
देवभूमि
उत्तराखण्ड लग्दि,
स्वर्ग
का समान।
अंध्यारु
मिटि जान्दु,
डांडी-कांठ्यौं
मा ऐ जान्दु घाम,
ल्यन्दन
मनखि सुबेर,
देवभूमि
का द्यब्तौं कु नाम।
शुरु
ह्वन्दु दिन,
करदन
मनखि अपणि धाण,
सूरज
भगवान चमकदन,
खुश
ह्वन्दु ज्यू पराण।
सूर्योदय
पाड़ मा,
लग्दु
अति प्यारु,
मुल्क
भि हमारु,
यीं
दुन्यां मा अति न्यारु।
27/02/2021
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