चम्पावतगढ़ का कत्युरी रज्जा,
नाम थौ जौंकु झालुराई,
जन्म लिनि जौंका घौर,
गोलू जी आप न्यायकारी,
अयाँ छौं द्वार हे देव तेरा,
आप छन दूधाधारी,
दुःख दर्द दूर करदा,
हे देव आप अवतारी........
पंच देवतौं की बैण कालिंका,
हे गोलू जी माता तुमारी,
बाला गोरिया, गौर भैरव,
हे देव आप अवतारी,
अन्यायी को नाश करदा,
काठ का घोड़ा की सवारी,
दुःख दर्द दूर करि देवा,
विनती छ देव हमारी,
अयाँ छौं द्वार हे देव तेरा,
आप छन दूधाधारी,
दुःख दर्द दूर करदा,
हे देव आप अवतारी........
तेरु वास हे गोलू देव,
चम्पावत, चितई, घोड़ाखाळ,
भक्तगण तेरी पूजा करदा,
प्यारा कुमाऊँ अर गढवाळ,
सच्चू न्याय हे देव तेरु,
पौन्दा छन लोग तेरा द्वार,
दुःख दर्द दूर होन्दा छन,
मन मा ख़ुशी होन्दी अपार,
अयाँ छौं द्वार हे देव तेरा,
आप छन दूधाधारी,
दुःख दर्द दूर करदा,
हे देव आप अवतारी.....
फल फूल अर नारियल,
चड़ौन्दा दूध तेरा द्वार,
सच्चा मन सी जू याद करदा,
करदि छैं ऊँकू बेड़ा पार,
दया कू सागर हे देव तू,
भग्तु खातिर चमत्कारी,
अयाँ छौं द्वार हे देव तेरा,
आप छन दूधाधारी,
दुःख दर्द दूर करदा,
हे देव आप अवतारी.....
रचियता: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित २४.५.२०१२)
प्रिय मित्र मनीष मेहता जी के अनुरोध पर गोलू जी पर रचित मेरा गढ़वाली भजन
लोकरंग फाऊन्डेशन को समर्पित
www.lokrang.org
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