जू प्यारू गीत,
स्या घसेरि लगौणि छ,
भागीरथी का छाला,
तै भेळ पाखा फुंड,
यकुलि- यकुलि,
कुजाणि क्यौकु,
कुयेड़ी भि लगिं छ,
ये काळा बसगाळ....
हपार भागीरथी कू,
भारी सुंस्याट होणु छ,
तौ भि स्यु गीत,
हमारी आंख्यौं मा,
दणमण आँसू ल्हौणु छ...
गीत का बोल छन,
तुम बिना स्वामी,
पट्ट मरी जौलु,
द्वी चार दिन मा,
हे लठ्याळि चैता,
"त्वैन भि बिंगि"
रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा(जिज्ञासु)
ऋतु बसगाळ-२०१२ (२९.८.२०१२)
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित)
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