ऊदास दाज्यू,
चलि जा तू वैका पास,
त्वैमा देखण लग्युं छ ऊ,
ज्व छ वेका मन की आस......
नि दुखौणु दिल दाज्यू
वैकु,
मन वैकु जन पहाड़,घौर तेरु वैकी पीठ मा,
बांज बुरांस का जख झाड़......
मन वैकु कतै नि बदलि,
बदल्यां छन तेरा मिजाज,
तेरु पहाड़ ऊदास दाज्यू,
घैल भी होयुं छ आज....
मेरा मन मा पीड़ा दाज्यू,
उजड़दु जाणु पहाड़ हमारु,जख भी छौं हम दाज्यू,
पराण सी प्यारु हमारु....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
28.5.13
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