आज कुजाणि क्यौकु ऊ,
बैठ्युं उंचि धार मा,
देखणु छ हिंवाळि कांठी,
तौं डांड्यौं का पार मा,
होलु सोचणु,
मन मा अपणा,
औणु खराण्यां ह्युंद,
खूब खौलु खूब स्यौलु,
अपणि डिंडाळि मा,
दादा दादी का धोरा बैठिक,
सुणलु पुराणि कथा,
आलु कू थिंच्वाणि,
गौथ कू गथ्वाणि,
दाळी कु धुरच्वाणि,
खूब खौलु जनु भि रौलु,
अपणा प्यारा पहाड़ मा.....
http://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.in/
बैठ्युं उंचि धार मा,
देखणु छ हिंवाळि कांठी,
तौं डांड्यौं का पार मा,
होलु सोचणु,
मन मा अपणा,
औणु खराण्यां ह्युंद,
खूब खौलु खूब स्यौलु,
अपणि डिंडाळि मा,
दादा दादी का धोरा बैठिक,
सुणलु पुराणि कथा,
आलु कू थिंच्वाणि,
गौथ कू गथ्वाणि,
दाळी कु धुरच्वाणि,
खूब खौलु जनु भि रौलु,
अपणा प्यारा पहाड़ मा.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिज्ञासु”
22.10.2013, सर्वाधिकार सुरक्षितhttp://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.in/
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