उत्तराखण्ड बणैक आज,
भलु कतै नि होणु छ,
पलायन की मार सी देखा,
पाड़ बिचारु रोणु छ.....
खुला पाड़ मा दम छ घुटणु,
सब्बि छन देरादूण औणा,
बिस्वा नाळी मा बसिक,
धन्ना सेठ छन चितौणा....
भाषा त्यागिक हिन्दी फूकणा,
फिर्बि पाड़ी लगणा छन,
आस औलाद तैं देखा ऊंकी,
अंग्रेजी लिखणा पढ़णा छन....
कख छ जाणु उत्तराखण्डी,
कुछ समझ नि औणु छ,
अपणा बिकास की आस मा,
संस्कृति सी दूर होणु छ...
पैत्रिक कूड़ा टूटि टूटिक,
धुर्पळा जौंका भ्वीं मा औणा,
देखणा छौं हम प्यारा पहाड़ मा,
मनखि छन सब कुछ बुस्यौणा....
वीरान होन्दु उत्तराखण्ड,
सच मा छ लाचार दिखेणु,
जनु बिकास होयुं चैन्दु थौ,
वनु आज कतै नि होणु......
दुख भी होन्दु मन भारी,
ध्यान नि देन्दा कुर्ताधारी,
घपरोळ मच्युं राजनीति कू,
हे! उत्तराखण्ड तेरी लाचारी.....
20.4.2016
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