आजतक बिंगण मा नि आई,
बोला त ज्यु कू जंजाळ छ,
बिकास की आस मरिगी,
लाटु कुमौं गढ़वाळ छ.....
हात हत्यौणु फूल लौंफ्यौणु,
सत्ता कुर्सी के खेल खेलेणु छ,
बिकास की जगा भौंकुछ होणु,
उत्तराखण्ड प्यारु तरसेणु छ....
नेतौ कू बिकास होण लग्युं,
जनता बिचारी टपराणी छ,
अपणा बिकास की आस मा,
पहाड़ त्यागिक जाणी छ.....
उजड़्या कूड़ा बांजा पुंगड़ा,
पाड़ का हाल बतौणा छन,
नेता भग्यान मस्त ह्रवैक,
देरादूण मा मौज मनौणा छन....
उत्तराखण्ड की राजनीति,
नाक मा चणा चबौणि छ,
कोर्ट, कचैरी, देश मा,
जैंकि भारी चर्चा होणी छ.....
दिनांक 8.5.2016
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