संग्ता खारु उडण लग्युं,
डांडौं मा धुयेंरु छयुं छ,
बणु की बणांगन पाड़,
अति घैल होयुं छ......
किलै पाड़ का मनख्यौंन,
या भयंकर आग लगाई,
घोर अनर्थ करिक तैं,
तौं दया कतै नि आई....
पाड़ का धोरा कैन नि औण,
जख भभसेणु ज्यु पराण,
रौंत्याळि डांड्यौं का मुल्क हमारा,
मनखि बण्यां छन पर्रवाण.....
प्रकृति तैं संतै पिथैक,
हर्चि जालु पाड़ कू पाणी,
पैलि त प्यारा पहाड़ मा,
तीसन गौळि छन ऊबाणि....
बणांग सी भारी राजनीति की,
आग छ भयंकर भारी,
बेबस होयां पाड़ी मतदाता,
मन मा होयिं छ लाचारी.....
रौत्याळा पाड़ मा संग्ता,
लगिं छ भयंकर आग,
राजनीति की आग भी लगिं,
उत्तराखण्ड तेरु भाग.....
3.5.2016
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