पैलि हमारा पाड़ मा,
हरेक मौ पाळ्दि थै
भैंसा,
खूब दूध घ्यू होन्दु
थौ,
घ्यू की माणी बेचिक,
घर परिवार चळ्दु थौ,
औन्दा था द्वी
पैंसा.....
आज गौं का मनखि,
गौं फुंड डबखणा छन,
कख मिललु दूध घ्यू,
नौना बाळौं क्या
पिलौण,
ऊदास ह्वोन्दु तौंकु
ज्यू.....
किलै ह्वे आज यनु?
नौना बाळा लोखुन,
घ्यू बेचिक लिखै
पढ़ैन,
पढ़ी लिखिक तौंका
नौंना,
परद्येस जुग्ता
ह्वेन,
आज ह्वोन्दा खान्दा
ह्वेक,
नौंनौन त्याग्यलि
पाड़,
गौं की कूड़ी बांजा
पड़ीं,
सैर मा होयुं बिकास,
तौंका बिकास मा
भैंसौन,
अपणु दिनि योगदान,
कख हर्चिग्यन भैंसा,
क्या ब्वोन्न हे! भगवान.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिज्ञासू”
दिनांक 5/7/2017
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