भेळ ऊद, हे! भुला,
तेरा होणी खाणी का दिन छन,
सोच अपणि जिंदगी का बारा मा,
जिंदगी मा जू सुखि रण चांदु,
ज्वानि का दिन सुदि न बितौ,
जू फिर बौड़िक नि औन्दा,
जब बिति जान्दा,
आँखौं मा तरबर आंसू ल्हयौन्दा.
बग्दु पाणी धौळयौं कू,
आँखौंन देखि होलु त्वैन,
जू सदानि का खातिर बगि जांदु,
तेरा पहाड़ का काम नि औन्दु,
तनि तेरी ज्वानि छ,
बिति जालि फेर तेरा के काम की,
"न फरक्यौ" जाणि बूझिक.
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित
13.3.13
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