फुरर उड़ि जा हे घुघति,
प्यारी सुवा का पास,
राजि खुशी छौं कि ना,
लगिं होलि सास....
प्यारी सुवा का पास,
राजि खुशी छौं कि ना,
लगिं होलि सास....
ऊ जमानु अब बितिगी,
मोबाईल मेरा पास,
घुघति मू रैबार नि देन्दु,
होयिं छ ऊदास.....
मोबाईल मेरा पास,
घुघति मू रैबार नि देन्दु,
होयिं छ ऊदास.....
कब्बि सुवा ऊदास रंदि थै,
आज घुघति ऊदास,
कू देलु रैबार वीं मू,
आज लगिं रंदि सास.....
आज घुघति ऊदास,
कू देलु रैबार वीं मू,
आज लगिं रंदि सास.....
दिन सब्यौं का, औन्दा जान्दा,
यीं धरती मा, सच्ची छ या बात,
हे कनु जमानु ऐगि अब,
कंदुड़यौं फर छन हात.......
यीं धरती मा, सच्ची छ या बात,
हे कनु जमानु ऐगि अब,
कंदुड़यौं फर छन हात.......
भुला मनोज रावत (बौल्या) द्वारा लिख्यां गढ़वाळि गीत पढ़िक मेरा कविमन मा यनु कबलाट पैदा ह्वै।
7.1.15
7.1.15
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