मेरा नौना कू ब्यो छ,
कखि सौदा पत्ता होणु,
न्युतेरु तैं न्युतु दियेणु,
कखि सौदा पत्ता होणु,
न्युतेरु तैं न्युतु दियेणु,
हबरि मन मा डौर लगणि,
क्वी लंगि संगि छूटि न जौ,
वनत मैंन फेसबुक मा,
कार्ड पोस्ट करियालि,
जू प्रेमी औण चालु,
हृदय सी स्वागत छ....
क्वी लंगि संगि छूटि न जौ,
वनत मैंन फेसबुक मा,
कार्ड पोस्ट करियालि,
जू प्रेमी औण चालु,
हृदय सी स्वागत छ....
मेरु ज्यु पराण यनु हिछ,
सोचि ब्यो पहाड़ प्रेम मा,
अपणा गौं मुल्क मा हो,
मेरु गौं, कुल देव्ता,
पित्र देव्ता,ग्राम देव्ता,
मेरा गौं का मनखि,
सैत भारी खुश होला....
सोचि ब्यो पहाड़ प्रेम मा,
अपणा गौं मुल्क मा हो,
मेरु गौं, कुल देव्ता,
पित्र देव्ता,ग्राम देव्ता,
मेरा गौं का मनखि,
सैत भारी खुश होला....
पेणी पाणी कू बंदोबस्त,
बल दिदा जरुरी होयुं चैंदु,
खराण्यां ह्युंद लग्युं छ,
तब त ढ़िक्याण की भी,
जरुरत कतै निछ दिदा,
सैडि रात मण्डाण लगलु,
नाची नाची रात कटलि,
ढ़ोल दमौं मुस्क्या बाजु,
वेकु बंदोबस्त होयुं छ,
अपणि जिंदगी मा मैं,
बैण्ड बाजा कू विरोधी छौं,
वैसी प्यारु हमारु,
उत्तराखण्डी ढ़ोल छ....
बल दिदा जरुरी होयुं चैंदु,
खराण्यां ह्युंद लग्युं छ,
तब त ढ़िक्याण की भी,
जरुरत कतै निछ दिदा,
सैडि रात मण्डाण लगलु,
नाची नाची रात कटलि,
ढ़ोल दमौं मुस्क्या बाजु,
वेकु बंदोबस्त होयुं छ,
अपणि जिंदगी मा मैं,
बैण्ड बाजा कू विरोधी छौं,
वैसी प्यारु हमारु,
उत्तराखण्डी ढ़ोल छ....
कवि छौं लिखि दिनि,
मन मा भौंकुछ न सोच्यन,
मन की बात पेट मा,
कतै मेरा पचदि नि,
सोचि मैंन लिखि द्यौं,
किलैकि मेरा नौना कू ब्यो छ.....
मन मा भौंकुछ न सोच्यन,
मन की बात पेट मा,
कतै मेरा पचदि नि,
सोचि मैंन लिखि द्यौं,
किलैकि मेरा नौना कू ब्यो छ.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
मेरा कविमन कू कबलाट
7.1.2015
मेरा कविमन कू कबलाट
7.1.2015
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