मन मा भारी खुशी थै होणी, उत्तराखण्ड बणिगी,
बंजेन्दा गौं मा रौनक आलि, मन मा आस जगिगी....
उत्तराखण्डी खुश था वे दिन, बाग था मन मा रोणा,
जन भी रौला उत्तराखण्ड मा, मन अपणु बुथ्यौणा.....
उत्तराखण्ड कु बिकास होलु, बाग था डन्ना भारी,
ऊड्यारु तक बिकास आलु, ह्वे जालि लाचारी.....
सच नि ह्वेन सुपिना हमारा, पाड़ छ खाली होणु,
पलायन की पिड़ा पाड़ मा, हर मनखि छ रोणु......
खाणा कमौणा उत्तराखण्ड मा, भैर का बण्यां पर्वाण,
बौड़ि नि सक्दा उत्तराखण्डी, वख कैन नि जाण....
ताळा लग्यां छन कूड़ौं फर, गौं मा होयुं सुन्नकार,
स्कूल भी बंद होणा,
पलायन की मार....
देख्दु जावा क्या क्या होलु, सब कुछ ऊताणदण्ड,
जु वे पाड़ मा रला, ऊंकू उत्तराखण्ड......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा ‘जिज्ञासू’
दिनांक 18/8/2017
No comments:
Post a Comment