स्वोचि आपन कबरि,
हम कागज का टुकड़ा,
गुलामी करि कमौणा छौं,
ज्वानि अपणि गंवौणा छौं,
लोभ लालच का बस ह्वेक,
रिस्ता भी नि निभौणा छौं......
एक मनखि सात समुदर पार,
रुप्या कमौण का खातिर गै,
अपणा देस आई त वेन,
अपणि मरीं ब्वे कु कंकाल पै.....
सच छ, औलाद अगर,
कामयाब छ,
तौ भि सुख नि मिल्दु,
नाकाम छ त,
तब भि सुख नि मिल्दु,
तौ भि हम मनख्यौं कू,
लगिं रन्दि रुप्यौं की बौळ,
सच निछ या दुन्यां,
सच मा एक थौळ......
आज रुप्यौं कु जमानु छ,
इलै रुप्या कमौणा छौं,
अपणा मुल्क सी दूर ह्वेक,
दिल कु दर्द दबौणा छौं.......
रुप्या नि कमौन्दु जु,
घर परिवार दूर ह्वे जान्दा,
रुप्या कमौणा छौं त,
आंखौं मा बसि जान्दा......
10/8/2017
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