मेरा पहाड़ मा,
किलै रुसैयीं होलि,
उत्तराखण्ड की धरती,
विकास का नौं फर,
कचोरयालि पहाड़,
बोन्नि छ,
जल्मभूमि हमारी,
मैं क्या करती,
मैकु भी,
आफत हि आफत....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
मेरा कविमन कू कबलाट,
13.8.14
किलै रुसैयीं होलि,
उत्तराखण्ड की धरती,
विकास का नौं फर,
कचोरयालि पहाड़,
बोन्नि छ,
जल्मभूमि हमारी,
मैं क्या करती,
मैकु भी,
आफत हि आफत....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
मेरा कविमन कू कबलाट,
13.8.14
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