कब आलि,
टक्क सी लगिं थै,
ब्याळि ब्याख्ना आई स्या,
दर्द भरी दिल्ली मा,
जैंकि भारी जग्वाळ थै,
तन मन भिगैक चलिगि,
मन खुश करिगि,
बौळया बिचारि......
-कवि जिज्ञासु की कलम सी
14.7.14
टक्क सी लगिं थै,
ब्याळि ब्याख्ना आई स्या,
दर्द भरी दिल्ली मा,
जैंकि भारी जग्वाळ थै,
तन मन भिगैक चलिगि,
मन खुश करिगि,
बौळया बिचारि......
-कवि जिज्ञासु की कलम सी
14.7.14
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