भौंकुछ नि बोन्नु भुला,
बात यनि बोलिं चैंदि,
मन खुश ह्रवै जाऊ,
जिंदगी या चार दिन की,
भोळ कुजाणि क्या,
हम दगड़ि ह्रवै जाऊ......
-कवि जिज्ञासु की कलम से
8.7.14
बात यनि बोलिं चैंदि,
मन खुश ह्रवै जाऊ,
जिंदगी या चार दिन की,
भोळ कुजाणि क्या,
हम दगड़ि ह्रवै जाऊ......
-कवि जिज्ञासु की कलम से
8.7.14
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