गरीब क्रांति का रुप मा,
पहाड़ की समृद्धि का खातिर,
करि सकदु चमत्कार,
पहाड़ का घर गौं की,
खुशहाली का खातिर,
जैकी छ दरकार......
चकबंदी आंदोलन,
एक जन आंदोलन छ,
जू होयुं चैंदु साकार,
आंदोलन की आवाज,
सुण्नि छ सरकार....
स्वैच्छिक अर कानूनी तौर फर,
पहाड़ का मनखि करि सकदा,
चकबंदी कू सुपिनु साकार,
खेत, खल्याण की तरक्की हो,
बणि सक्दु विकास कू आधार...
सब्बि पुंगड़ा एक जगा होन,
तब हो तौंकु श्रृंगार,
गरीब क्रांति फलिभूत हो,
बणु बिकास कू आधार....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा
जिज्ञासू,
दिनांक 24.2.2016
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