सोचणा छन,
हम पिछ्नै किलै रौं,
मूल उत्तराखंडी छौं,
राजनीति मा जौं,
उत्तराखंड़यौं का सुपिना,
सच करि जौं,
सेंटुलौं की बात फर,
यकीन होणु छ,
किलैकि पाड़ मा,
सेंटुलौं की संख्या,
अति बात छ,
मनख्यौं का बजाय,
पहाड़ का विकास की,
चाबी तौंका हात छ......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू,
मेरा कविमन कू कबलाट,
दिनांक 29.3.2016
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