जल्म का बाद,
होश समाळण फर,
देखि थौ मैंन,
टकटकी लगैक,
सोचण लग्यौं,
ऊंचा किलैं छन?
एक दिन मेरु,
पाड़ सी संवाद ह्वै,
मूक पाड़ न,
मैकु बताई,
जिंदगी मा,
ऊब उठि अर,
मेरु मान बढ़ै।
पाड़ का बीच,
पाठशाला मा बैठिक,
पढ़दु थौं मैं,
प्रेरणा लेंदु थौ,
प्यारा पाड़ सी,
अग्नै बढ़ण की।
रोजगार का खातिर,
पाड़ सी दूर,
दर्द भरी दिल्ली अयौं,
मंजिल मिलि,
प्रवास की वेदनान,
मेरा मन मा,
कवित्व पैदा करि,
ऋणि छौं तेरु,
हे प्यारा पाड़।
दिनांक 27.2.2016
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