आज बिन मनख्यौं का,
सुनसान होणा देखा दौं,
हेरिक दिल मा दर्द होन्दु,
हम हि देणा छौं घौ.....
कथ्गा खुशी थै वे दिन,
जब बणि थौ राज्य हमारु,
खेत, खल्याण, घर, गौं की,
होणि खाणी फर थौ सारु.....
तै दिन बिटि होणु छ,
मैदान कू अति विकास,
पहाड़ आज खौळ्युं छ,
मरिगी वेकी आस.......
प्रतिनिधित्व पहाड़ कू,
ये प्रकार सी कम होणु,
पहाड़ पलायन की मार सी,
दिन दिन दुखी ह्वै रोणु.....
मन मा भारी आस थै,
फललि फूललि संस्कृति हमारी,
गौं गौं मा विकास होलु,
प्रवास नि होलि लाचारी.....
कब होन्दा खान्दा होला,
उत्तराखण्ड का प्यारा गौं,
ज्यु करदु प्रवास त्यागिक,
अपणा प्यारा गौं जौं.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 24.2.2016
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