छोड़्यालि मैंन,
ब्वै बाब अर घर बार,
जल्मभूमि उत्तराखण्ड,
पहाड़ कू प्यार......
द्वी पैंसा का बाना,
किलैकि चललु मेरु घर बार,
परदेश की जिंदगी मा,
दु:ख छन हजार....
परदेश मा औन्दि छ,
मैकु ब्वै बाबु की याद,
जांदु छौं पहाड़ मैं,
भिंडि दिनु का बाद.....
सौंजड़्या मेरी करदि छ,
पुंगड़्यौं मा धाण,
सदानि रन्दु छ क्वांसु,
वींकु ज्यु पराण......
मजबूर रन्दु मनखि,
पहाड़ सी दूर,
खौरि खान्दु जिंदगी मा,
मन सी मजबूर........
नौकरी का बाना बोला,
या बोला पापी पेट,
अयां छौं हम परदेश मा,
पहाड़ बिटि ठेट....
दिनांक 14.6.2016
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