दु:ख की गंगा बगणि भैजि,
हम छौं भौत ऊदास ह्वोयां,
बिना बतैयां चलिग्यन आप,
खबर सुणिक खूब रोयां.....
सबका मन मा बसिक आपन,
दिनि सब्यौं तैं अथा प्यार,
कवियौं की कविताओं कू,
रंग भरिक करि श्रृंगार....
अब नि ह्वोण मिलन हमारु,
एक दिन हम बि तख्खि औला,
मन मा बस्यां आप हमारा,
आपतैं तख जरुर खुजौला...
नजर हमारी यीं धर्ति मा,
बौळ्या बणि आज खुजौणि,
कविता पोस्टर मा कैद कविता,
आपकु अहसास करौणि......
परमेसुर सी कामना छ,
मिलु आपतैं परम धाम,
तै लोक मा भी कर्वन आप,
चित्रकारी कु पुण्य काम....
नौं अमर करि चलिग्यन भैजि,
जू चांदु छ हर इंसान,
चित्रकारी कु हुनर आपतैं,
फिर द्यौन, हे! भगवान.....
बृजमोहन नेगी नौं आपकु,
मनखि था आप भौत महान,
जल्मभूमि उत्तराखण्ड आपकी,
करदि थै आप फर अभिमान....
आपकी कुच्ची अर रंगु का,
औणा छन आज आंसू,
शत् शत् नमन आपतैं भैजि,
व्यथित छ भुला, कवि ‘जिज्ञासू’.....
महान चित्रकार
बृजमोहन नेगी जी
तैं शत् शत् नमन अर श्रद्धाजंलि,
दिनांक
9/11/2017
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