पौड़ी शहर में,
पौड़ी श्रीनगर रोड से,
सीढ़ियां उतरने के बाद,
महान चित्रकार का घर,
आज बहुत ऊदास है,
जहां चित्रकार से मिलने,
साहित्यकार और कला प्रेमी,
जाते रहे होगें,
महान बृजमोहन नेगी जी से,
उनके व्यक्तित्व के धनी,
चित्रकारी के हुनर और,
मृदु स्वभाव के कारण.....
सबके मन में बसते थे,
यादें उनकी आज भी बसी हैं,
सभी कवियों की कविताओं को,
सम्मान प्रदान करते हुए,
तेरह सौ के लगभग कविता पोस्टर,
बनाए महान चित्रकार नें,
हिमवंत कवि चन्द्र कुंवर बर्त्वाल जी की,
कालजई कविताओं को भी,
ऊकेरा था चित्रकारी के माध्यम से,
आज हमारे बीच नहीं हैं,
चले गए अनंत यात्रा पर,
न जाने कहां.....
गौचर, गोपेश्वर जहां,
डाक विभाग में नौकरी करते हुए,
चित्रकारी की थी चित्रकार नें,
अहसास कर रहे होगें,
चले जाने के सूनेपन का,
क्या बीत रही होगी?
वहां रहने वाले शुभचिंतकों पर,
जिनके मन को जीता होगा,
महान चित्रकार नेगी जी नें.....
कलाकृति और चित्रकारी का,
अकूत भण्डार मौजूद है,
चित्रकार के घर में,
एक प्रश्न है आज,
कौन रखेगा सहेजकर?
कला, साहित्य प्रेमी और सरकार,
मिलकर जरुर पहल करें,
संग्रहालय में संग्रहित करने की,
यही सच्ची श्रद्धाजंलि होगी,
महान चित्रकार के प्रति....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा ‘जिज्ञासू’
ग्राम: बागी नौसा, चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड।
30.10.2017
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