परिचय
- बी मोहन नेगी (बृजमोहन सिंह नेगी)
- जन्म स्थान : चुक्खुवाला, देहरादून
- जन्म : 26 अगस्त 1952
- मूल निवासी : पुंडोरी गांव, मनियारस्यूं पट्टी, पौड़ी गढ़वाल
- पिता : भवानी सिंह नेगी
- माता : जमना देवी
- पत्नी : कल्पेश्वरी देवी
- पुत्र : आशीष, अजय मोहन(विवाहित)
- पुत्री : शिवानी, हिमानी(विवाहित)
26 अक्तूबर कु मैकु फ्येसबुक फर जब चित्रकार भैजि का दिवंगत ह्वोण की खबर मिलि त यनु अहसास ह्वे, जन बिदा द्यौरा कु ब्रज पड़दु। व्यक्तित्व का धनि चित्रकार भैजि हम्तैं जान्दु जान्दु रुवैग्यन। महान चित्रकार भैजि कु हमारा बीच सी चलि जाणु भौत हि दु:खद छ। कथ्गा मयाळु अर निमाणा मनखि था हमारा भैजि। पैलि बार जब मैंन भैजि की तस्वीर द्येखि त यनु लगि क्वी बिदेशी मनखि छन। नौं का कारण अहसास ह्वे भैजि त हमारा उत्तराखण्ड की शान छन। सितम्बर का मैना म्येरी एक दिन भैजि सी फोन फर बात ह्वे, भैजिन बताई, भै जयाड़ा जी म्येरु शरील खूब नि थौ, अब जरा सुधार छ, मैं देरादूण गयुं थौ। मैकु पता नि थौ भैजि कु स्वास्थ्य यथ्गा खराब छ। फोन सी संपर्क कन्न चाणु थौ पर यथ्गा बीच मा दु:खद खबर मिलि। श्री नरेन्द्र कठैत जी सी मैंन संपर्क करि त कठैतजिन बताई, जयाड़ा जी, मैकु भी पता निछ। मैकु भी नि बताई भैजिन कि मैं देरादूण जाणु छौं।
जब जब मैं कवि अर चित्रकार
बृजमोहन नेगी भैजि का बणैयां कवियौं की कविता का कविता पोस्टर फ्येसबुक फर
द्येख्दु थौ त म्येरा मन मा भी आस जगदि थै, क्या चित्रकार भैजि म्येरी
कविता कु पोस्टर भी बणाला? एक दिन मैकु चित्रकार भैजि कु फोन नंबर
मिलि अर मैंन फोन सी संपर्क करि। भैजिन
ब्वोलि, कु ह्वोला? मैंन भैजि तैं अपणु
परिचय दिनि, भैजिन ब्वोलि, हो! जयाड़ा जी। आज अहसास होन्दु कथ्गा मयाळु मनखि था हमारा प्रिय चित्रकार
भैजि। बातचीत का बीच मा भैजिन मैकु ब्वोलि, जयाड़ा जी आप
मैकु अपणि छ्वोट्टि छ्वोट्टि गढ़वाळि कविता भेज्यन, मैं आपकी
कवितौं का कविता पोस्टर बणौलु। तै दिन
म्येरा कविमन मा अति खुशी ह्वे। कुछ दिन बाद मैंन वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेन्द्र कठैत जी सी चित्रकार भैजि का
घर कु पता लिनि अर कुछ कविता पोस्ट कर्यन।
एक दिन
जब मैंन फ्येसबुक फर चित्रकार भैजि कु बणैयुं म्येरी कविता कु पोस्टर द्येखि त
मैकु अति खुशी ह्वे। कविता कु शीर्षक थौ “ढ़ुगा हि बण्यां रौला”। मैं भैजि सी बार बार संपर्क करदु थौ। भैजि
अपणापन कु अहसास करौन्दा था। 25 नवबंर,
2016 की रात कु मैं दिल्ली बिटि पौड़ी गयौं अर 26 नवबंर कु भैजि सी
पैलि अर आखिरी मुलकात ह्वे। सड़क बिटि
सीड़ी ऊतरिक जब मैं श्री सुरेन्द्र सिंह रावत(सुरु दा), श्री
हर्षपाल नेगी जी का दगड़ा भैजि का घर फर ऊंकी सगोड़ी का धोरा पौंछ्यौं त भैजि अपणि
सगोड़ी का श्रृंगार मा लग्यां था। एक
चित्रकार होण की झलक सगोड़ी बिटि घर तक दिखेणि थै। नेगीजिन हम्तैं घर का भीतर अपणा
कविता पोस्टर, मुखौटा, चित्रकार
मोलाराम की मूर्ति दिखाई। भैजि की चित्रकारी, मूर्तिकारी
द्येखिक म्येरु कविमन अति खुश ह्वे। भैजिन हमारा खातिर चा बणवाई अर हबरि छ्वीं
बात्त भी लगैन। भैजिन मैकु बताई, जयाड़ा जी, आपकी कविता कु पोस्टर म्येरु तय्यार करयुं छ। भैजिन मैकु कविता पोस्टर
दिखाई अर हम दुयौंन कविता पोस्टर का दगड़ा फोटु भी खिंचै। कविता कु शीर्षक “तीन
पराणि” छ।
चित्रकार भैजिन हम्तैं अंतर्मन की बात भी बताई। “मैं अपणा
कविता पोस्टरु की जगा जगा प्रदर्शनी लगौन्दु छौं।
म्येरा घर बिटि सड़क तक सीड़ी द्येखणा छन तुम। पीठ मा पिठ्ठु लगैक मैं यूं
सीड़्यौ चड़िक जान्दु छौं”।
चित्रकारी का खातिर दमड़ि की जरुरत भी ह्वोन्दि।
भैजिन निस्वार्थ सबका कविता पोस्टर बणैन।
अपणा हुनर सी कमौण की आस भैजि का मन मा कतै नि थै। आर्थिक आधार न होण का
कारण कलाकार की कला कु सृजन अर प्रसार
ह्वोणु संभव नि ह्वोन्दु। भैजि बृजमोहन नेगी जिन अपणि गेड़ कु खर्चा करिक
जथ्गा संभव ह्वे सक्दु थौ काम करि। नेगी जी चित्रकारी ड्यूटी का बाद देर रात तक
करदा था। कला की भूक भौत थै, पेट की भूक शांत कन्न का खातिर भैजि कु प्रिय भोजन खिचड़ी थौ। दुर्भाग्य
छ, न सरकारी सहयोग न सामाजिक संगठनु कु। कवि अर चित्रकार
भैजि अनंत यात्रा फर चलिग्यन। सहयोग
मिल्दु त चित्रकार भैजि न जाणि कथ्गा भव्य कला संग्रहालय बणैक जान्दा।
सदानि यीं धर्ति मा क्वी अमर नि
रन्दु। चित्रकार भैजि कु घर एक कला
संग्रहालय छ। पौड़ी चित्रकार भैजि की कर्मस्थली रै। आज जरुरत छ, जथ्गा भी
कलाकृति, कविता पोस्टर भैजिन बणैन, ऊंकु
संकलन अर प्रदर्शन एक कला संग्रहालय का रुप मा हो। यू महान काम जरुर होयुं चैन्दु। श्रद्धाजंलि का रुप मा यू काम हो त अति खुशी कु
अहसास ह्वोलु। कलाकार सबकु ह्वोन्दु, चित्रकार भैजिन
अंतराष्ट्रीय स्तर फर सब्बि कवियौं का कविता पोस्टर बणैन। विशाल हृदय चित्रकार
भैजि यना मनखि था। कामना करदु परमेसुर
भैजि की पुण्य आत्मा तैं शांति अर सद्गति द्यौन।
जै लोक मा भी भैजि ह्वोला, वख भी चित्रकारी कु हुनर
दिखौन, म्येरा कविमन की कामना छ।
अपणि चित्रकारी मा बस्यां,
यनु अहसास होन्दु छ,
देख्दु कविता पोस्टर जब,
कविमन म्येरु रोन्दु छ.....
यनु अहसास होन्दु छ,
देख्दु कविता पोस्टर जब,
कविमन म्येरु रोन्दु छ.....
जगमोहन सिंह जयाड़ा ‘जिज्ञासू’
सी-20, एम-।। ब्लाक, संगम
विहार,
नई दिल्ली-110080
दूरभाष: 09654972366
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