आपकी नजर में भी,
फिर क्यों,
मैली करते हो मुझे?
जबकि मै मैली हो गई,
आपके तन के मैल,
और पापों को धोते धोते,
किसने कहा आपको,
मुझे अपवित्र करो,
क्या चाहते हो आप,
कि मैं ऐसा कहूँ,
करूणा करते करते,
मुझे अपवित्र मत करो,
मैं अगर रूठ गई,
कुपित होकर चली गई,
फिर एक भागीरथ को,
जन्म लेना होगा,
मुझे फिर धरती पर,
लाने के लिए,
मेरा विलुप्त होना,
अभिशाप होगा,
धरती पर मानव,
और प्रकृति के लिए,
ऐसा न हो,
मेरी पवित्रता का,
सम्मान करो,
"मैं पवित्र गंगा" हूँ
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित ब्लॉग पर प्रकाशित,
14.1.2013
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