प्रकृति के रंग रूप,
सर्वत्र फैली हुई धूप,
सतरंगी इंद्र धनुष,
छटा बिखेरता धरा पर,
निहारता है इंसान जब,
हर्षित हो उठता है मन,
किधर जा रहा है पथ,
न जाने किस शहर की ओर,
धरती पर हो रही है भोर,
पसरा हुआ है पथ,
न जाने किसकी इंतज़ार में,
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
22.1.2013
सर्वत्र फैली हुई धूप,
सतरंगी इंद्र धनुष,
छटा बिखेरता धरा पर,
निहारता है इंसान जब,
हर्षित हो उठता है मन,
किधर जा रहा है पथ,
न जाने किस शहर की ओर,
धरती पर हो रही है भोर,
पसरा हुआ है पथ,
न जाने किसकी इंतज़ार में,
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
22.1.2013
No comments:
Post a Comment