पीठ पीछे हथियार छुपाकर,
मुँह में राम राम,
बगल में छुरी जैसा,
फिर भी अगर,
शांति के लिए संवाद,
पहल बुरी नहीं है,
ऐसा नहीं होना चाहिए,
कहीं पे निगाहें,
कहीं पे निशाना,
तू डाल डाल,
मैं पात पात
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
15.1.13
मुँह में राम राम,
बगल में छुरी जैसा,
फिर भी अगर,
शांति के लिए संवाद,
पहल बुरी नहीं है,
ऐसा नहीं होना चाहिए,
कहीं पे निगाहें,
कहीं पे निशाना,
तू डाल डाल,
मैं पात पात
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
15.1.13
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