निहारा मैंने अपनी नजरों से,
जब गया मैं,
स्व. इन्द्रमणि बडोनी जी के,
प्यारे गाँव में,
गधेरे के बगल में,
जिसमें एक बूँद पानी नहीं,
कहते हैं बसगाळ में,
पीसता है अनाज,
घूमता है घर घर,
धरोहर है अखोड़ी की,
जिसका निर्माण किया था,
स्व. हीरा सिंह मेहरा जी ने,
स्वयं अपने हाथों से,
पहाड़ के पानी का उपयोग,
करने की ठानकर....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
स्वरचित, सर्वाधिकार सुरक्षित
1.2.2013
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