कवि नजर से मैंने दुनिया को देखा,
कुछ दोस्त ऐसे होंते हैं,
समय के साथ बदल जाते हैं,
कोई मजबूरी, समय का अभाव,
लाचारी बताते हैं,
आदत मेरी बुरी है,
मुझे दोस्त बहुत याद आते हैं,
सबका पता तब लगेगा,
जो मेरे सच्चे मित्र होंगे,
कंधे पर उनके,
अंतिम यात्रा पर जाऊंगा,
आँखों में उनके आंसू,
अपनी यादों के झरोखे से,
खूब बहाऊंगा.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षति एवं ब्लॉग पर प्रकाशित
24.2.13
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