या जिंदगी,
खून भी पेणि छ,
दिदा भुला बोन्न लग्यां,
भला बुरा भी बोन्न लग्यां,
तू भारी भग्यान छैं,
मैन भी बोलि,
ऊंकी ख़ुशी का खातिर,
भारी मौज छ मेरी,
तुमारी कृपा सी,
पर दुःख मन मा,
एक हिछ,
जन्मभूमि पहाड़ सी दूर,
मेरु मन उदास छ,
"कै जन्म कू बदलु लेणी छ"
या जिंदगी.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित,
21.2.2013
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