हमारा गौं कू,
जैकु नौं धरि थौ,
वैका दादा दादाजिन,
लाड प्यार मा...
उबरि जमानु थेगळया थौ,
झूट क्योकु बोन्न,
हमारा सुलार अर पैंट फर,
लग्यां रन्दा था थेगला,
सेण की खांतड़ि फर भि,
जमानु गरीबी कू थौ,
आज बतौंदु शर्मान्दा छन,
मेरा मुल्क का मनखि...
थेगळया आज ठाट मा छ,
वैका बाबाजिन,
घ्यू बेचि बेचिक,
स्कूल पढाई,
हर साल फर्स्ट डिवीज़न,
क्लास मा आई...
थेगळया आज
अफसर बणयुं छ,
पर अपणा गौं,
हर जाज काज मा,
सुख दुःख मा,
शामिल होन्दु छ,
मन सी आज भी,
"थेगळया" नि बदलि....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
25.2.2013
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