वंत मैं निमाणु मनखि छौं,
आपकी तरौं श्रीमान,
अपणि एक आंखी सी छौ,
भारी परेशान,
लोग बिंगदन मैंन,
अपणि आंखी जाणि बूझिक,
झप्पज्याई,
आंखिन शान करिक,
मन की बात बताई......
बचपन की बात छ,
स्कूल मा एक नौनी,
बैठीं थै हमारा दगड़ा,
जैंकु नौ थौ रेखा,
एक दिन वीन हम जथैं,
बड़ा ध्यान सी देखि,
हमारी आंखी झप्पज्याई,
क्लास बिटि हाय हाय करदु,
व भग्यान भैर भगि ग्याई,
आज भी याद छ,
कुछ देर बाद हेड मास्टर जिन,
हमतैं बुलाई,
शर्म नि औन्दि स्कूल मा,
आंखी किलै झप्पज्याई,
हम्न बोलि साब,
भौत भूल ह्वैगि,
मास्टर जिन बोलि,
यनु भी होन्दु भूल मा,
अब नि रखणु मैंन,
तू स्कूल मा।
बौजी की एक भूलि,
नाता मा हमारी स्याळि,
अयिं थै हमारा गौं,
सचि तुमारा सौं,
वीं देखिक हम्न,
आदत सी मजबूर,
आंखी झप्पज्याई,
हम देखि वींका मन मा,
प्यार सी जगि ग्याई,
झटट हमारा धोरा आई,
बल जीजा जी प्रणाम,
मन की मुराद पूरी ह्वैगि,
आज हे श्रीराम,
बौजिन अपणि भुलि,
हमारी स्याळि तैं समझाई,
स्यौड़ु छ आंखन यू,
तेरा लैक कतै निछ,
मोळ माटु करि द्याई......
एक दिन बुबाजिन,
मैकु बोलि,
तू अब ब्यो करि ले,
नौनि देख्याल मेरी देखिं छ,
शरील की कच्ची छ,
बच्ची छ, तो भि अच्छी छ,
जनि भिछ, आखिर नौनि छ,
बड़ा घर की,
हम फर कड़की छ,
मैंन बोलि जल्दि क्या छ,
बुबाजिन बोलि,
तू गधा छैं, ढै मण कू ह्वैग्यें,
मैं फर बोझ छैं,
कब तक बोझ बण्युं रैलि,
तू मैं फर,
फंसी जैलि त सम्ळि जैलि,
खोटु सिक्का छैं चलि जैलि।
धड़कदा दिल सी,
नौनि देखण गयौं,
होण वाळि सासु जी सी,
मुलाकत ह्वै,
मेरी आंखी झप्पज्याई,
नौनि भीतर छ बेटा,
मैं नौनि की ब्वै छौं,
नौनि तैं बुलौं,
मेरी आंखी फिर झप्पज्याई,
नौनि भैर आई,
बुबा जी की,
इच्छा ठुकराई।
मैंन घौर ऐक बुबाजी तैं बताई,
बुबाजिन बोलि आग लग्यन,
तेरी जवानि फर,
एक अंज्वाळ पाणी मा,
तू डूबि जा,
डूबि नि सकदि,
तैं आंखा फोड़ दी,
जख भी जांदि,
मार खैक औन्दि,
राम हि जाणु,
कुजाणि कन,
तैं आंखी झप्पज्यौन्दि।
क्या बतौण अब,
आप हि बाटु बतावा,
एक नौनि खुजावा,
जैंकि एक आंखी,
झप्पज्यान्दि हो,
भलु होलु तुमारु,
तुम फर हिछ सारु..........
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
दिनांक: 5.6.2015
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