टिहरी जनपद खासपट्टी मा,
मां चन्द्रवदनी कू थान,
चन्द्रकूट पर्वत शिखर फर,
होयि छ मां विराजमान......
पूर्व दिशा मा इन्द्रजीत पर्वत,
पश्चिम दिशा टिहरी डाम,
उत्तर दिशा मा खैंट पर्वत,
दक्षिण दिशा देवप्रयाग,
त्रेता युग मा जख ऐ था,
दशरथ पुत्र श्रीराम.......
चौदिशु मा अलकनन्दा,
भिलंगना, भागीरथी घाटी,
बदन पड़ी यख मां सती कू,
विष्णु न जब सुदर्शन सी काटी...
सिद्धपीठ छ मां चन्द्रवदनी मा,
मनोकामना पूरी होन्दि,
मां का दर्शन का खातिर,
दूर दूर सी जनता औन्दि....
मन्दिर न्यौड़ु लखि बखि बण छन,
बास्दा जख काखड़ हिल्वांस,
ऋतु बसन्त जब औन्दि छ,
मुल मुल हैंस्दा लाल बुरांस....
यख बिटि नजर औन्दि छन,
हिंवाळि ह्युं की कांठी,
रौंत्याळि यनि लग्दि छन,
जन पैरिं को ह्युं की ठांटी....
- जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
सर्वाधिकार सुरक्षित अर प्रकाशित
दिनांक 19.6. 2015
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