30 मई, 1930 कू,
तिलाड़ी का मैंदान मा,
जनता की बैठक होणी थै,
धौळी यमुना शांत बगणि थै,
सब लोग बेखबर,
बैठक की कार्रवाई,
ध्यान सी सुण्ना,
अर देखणा था.....
रज्जा की फौज न,
बिना चैतेयां मैदान फर,
चौतरफा घेरु मारिक,
निहत्थौं फर गोळी चलाई,
मनखि यथैं वथैं,
जान बचौण का खातिर,
डाळौं मा चड़्यन,
यमुना मा कूद्यन,
कयौं की जान गै,
कई घैल ह्वैन.....
दीवान चक्रधर जुयाळन,
बौळ्या बणिक,
जनता फर गोळी चलवाई,
बेकसूर मनख्यौं फर,
अत्याचार करवार्इ,
लूटपाट मचवाई,
हजारों लोग कैद करयन,
कई मनख्यौं तैं,
कैम्प मा ल्हेक,
ऊंकी जीवन लीला,
खत्म करिक,
ऊंकी लाश यमुना मा,
अपणा पाप लुकौण,
अर ढकौण का खातिर,
बेदर्द ह्वैक बगाई,
यमुना आज भी,
मूक गवाह छ,
वे अत्याचारी दिन की.....
यथगा होण का बाद,
कै मनख्यौं फर,
मुकदमा चलाई,
बीस साल की कैद,
अर जुर्मानु लगाई,
जैजाद कुड़की करि,
राजशाही का अंत की,
यख बिटि शुरुवात,
शुरु ह्वै थै.......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
दिनांक 30.6.2015
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