तीन तड़तड़ी छन,
खास पटटी, टिहरी मा,
चन्द्रवदनी मंदिर का न्यौड़ु,
ज्वान्यां की ऊकाळ,
त्यूंसा की ऊकाळ,
अर कटारचोट की ऊकाळ,
ऊब देखल्या त,
टोपलि ऊद पड़ि जांदि,
लोळ बिटि,
तौ भी हिटदा छन,
मेरा मुल्क का मनखि,
ठंडु मठु बोझ भारु ल्हीक,
पसीन्या चून्दु तरबर,
तन बदन मा,
ऊकाळ हमारा मन मा,
एक आस जगौन्दि,
हिटण छ लक्ष्य तक,
मंजिल का खातिर,
बिना मंजिल जिंदगी,
नि जी सकदु मनखि,
हमारी जिंदगी भी,
एक ऊकाळ छ......
चन्द्रवदनी मंदिर का न्यौड़ु,
ज्वान्यां की ऊकाळ,
त्यूंसा की ऊकाळ,
अर कटारचोट की ऊकाळ,
ऊब देखल्या त,
टोपलि ऊद पड़ि जांदि,
लोळ बिटि,
तौ भी हिटदा छन,
मेरा मुल्क का मनखि,
ठंडु मठु बोझ भारु ल्हीक,
पसीन्या चून्दु तरबर,
तन बदन मा,
ऊकाळ हमारा मन मा,
एक आस जगौन्दि,
हिटण छ लक्ष्य तक,
मंजिल का खातिर,
बिना मंजिल जिंदगी,
नि जी सकदु मनखि,
हमारी जिंदगी भी,
एक ऊकाळ छ......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
दिनांक: 21.5.2015
दिनांक: 21.5.2015
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