दिदा मेरा, आज कुजाणि,
तेरी याद क्यौकु औणि छ,
खाई थै काखड़ि चोरी,
वे बसगाळ प्यारा दिदा,
अंजनीसैण था जबरि,...
ऐंसु का बसगाळ देखि,
पापी परदेश मा दिदा,
बित्यां दिनु की मैकु आज,
भारी याद औणि छ,
सेाचणु छौं आज मन मा,
ऊ दिन कख चलिग्यन .....
तेरी याद क्यौकु औणि छ,
खाई थै काखड़ि चोरी,
वे बसगाळ प्यारा दिदा,
अंजनीसैण था जबरि,...
ऐंसु का बसगाळ देखि,
पापी परदेश मा दिदा,
बित्यां दिनु की मैकु आज,
भारी याद औणि छ,
सेाचणु छौं आज मन मा,
ऊ दिन कख चलिग्यन .....
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
कविमन कू कबलाट ये बसगाळ
4.9.2014
कविमन कू कबलाट ये बसगाळ
4.9.2014
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