मैं दिल्ली हूँ...!
मैं दिल्ली हूँ -
लेकिन दिल कहीं नहीं है..!
दर्द की दुकानों में-...
नफरत भरी है.
मैं दिल्ली हूँ -
ये मैं नहीं..
जिज्ञासु कहते हैं,
दर्द से भरे
बस आहें भरते हैं.
ना इंसान है यहाँ-
न इंसानियत ही है...!
बेवजह की बस-
एक भागमभाग है.
मैं दिल्ली हूँ -
लालकिला है लेकिन-
कोई लाल नहीं दिखता
क़ुतुब मीनार कोई
छू नहीं सकता
सुबह शाम की राशन
का बस एक खेल है-
मैं दिल्ली हूँ -
जिज्ञासु के लिए जेल है.
हाँ भई सच में-
यहाँ बड़ी झेल है-
दिल्ली में दिलों का
बड़ा बेढंगा खेल है.
मैं दिल्ली हूँ -....?
अधुरी कल्पना,
अधूरा मेल है-
मैं दिल्ली हूँ -
यहाँ सब सेल है....(मनोज इष्टवाल)
मैं दिल्ली हूँ -
लेकिन दिल कहीं नहीं है..!
दर्द की दुकानों में-...
नफरत भरी है.
मैं दिल्ली हूँ -
ये मैं नहीं..
जिज्ञासु कहते हैं,
दर्द से भरे
बस आहें भरते हैं.
ना इंसान है यहाँ-
न इंसानियत ही है...!
बेवजह की बस-
एक भागमभाग है.
मैं दिल्ली हूँ -
लालकिला है लेकिन-
कोई लाल नहीं दिखता
क़ुतुब मीनार कोई
छू नहीं सकता
सुबह शाम की राशन
का बस एक खेल है-
मैं दिल्ली हूँ -
जिज्ञासु के लिए जेल है.
हाँ भई सच में-
यहाँ बड़ी झेल है-
दिल्ली में दिलों का
बड़ा बेढंगा खेल है.
मैं दिल्ली हूँ -....?
अधुरी कल्पना,
अधूरा मेल है-
मैं दिल्ली हूँ -
यहाँ सब सेल है....(मनोज इष्टवाल)
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