तुम क्यौकु बोल्दा हे भुलौं.......
गौं का मनखि, सब चलिग्यन,
पंछी पहाड़ का, गौं मा हि रैन,
कैकु छ पहाड़ प्यारु,...
तुमसि भला ऊ पोथ्ला हिछन,
जौन पहाड़ कतै नि छोड़ी,
सच मा बोला, मुक्क नि मोड़ी,
पहाड़ का पंछी छन पहाड़ी,
तुम क्यौकु बोल्दा हे भुलौं.......
गौं का मनखि, सब चलिग्यन,
पंछी पहाड़ का, गौं मा हि रैन,
कैकु छ पहाड़ प्यारु,...
तुमसि भला ऊ पोथ्ला हिछन,
जौन पहाड़ कतै नि छोड़ी,
सच मा बोला, मुक्क नि मोड़ी,
पहाड़ का पंछी छन पहाड़ी,
तुम क्यौकु बोल्दा हे भुलौं.......
-कवि "जिज्ञासु" का मन का ऊमाळ
14.10.2014
14.10.2014
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