अटगा भटगा....
भाग की भताग भुलौं,
कख कख डबखणा छैं,
मन मा उदौळि सी ऊठदि,...
दिन दोफरी भगणा छैं.....
भाग की भताग भुलौं,
कख कख डबखणा छैं,
मन मा उदौळि सी ऊठदि,...
दिन दोफरी भगणा छैं.....
क्या जी होलु भाग मा,
केकि छौं हम जाग मा,
पापी पोटगि रण नि देंदि,
द्वी घड़ी कब्बि चैन मा....
ज्युंदा ज्यु की स्याणि हे,
मन मनखि तैं भट्कौन्दि,
रण नि देन्दि चैन सी,
सदानि स्या अट्कौन्दि....
अटगा भटगा मेरा भुलौं,
भाग मा छन द्वी नाळी,
चलि जौला एक दिन,
क्या मिललु हे दिदौ ,
यी़ं पोटगि सनै पाळी......
-कवि "जिज्ञासु" का मन का ऊमाळ
30.10.2014, सर्वाधिकार सुरक्षित
केकि छौं हम जाग मा,
पापी पोटगि रण नि देंदि,
द्वी घड़ी कब्बि चैन मा....
ज्युंदा ज्यु की स्याणि हे,
मन मनखि तैं भट्कौन्दि,
रण नि देन्दि चैन सी,
सदानि स्या अट्कौन्दि....
अटगा भटगा मेरा भुलौं,
भाग मा छन द्वी नाळी,
चलि जौला एक दिन,
क्या मिललु हे दिदौ ,
यी़ं पोटगि सनै पाळी......
-कवि "जिज्ञासु" का मन का ऊमाळ
30.10.2014, सर्वाधिकार सुरक्षित
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